त्याग, प्यार व नेकी का संदेश देता है पाक माह रमजान :-मुजेदीन अजीम
बिलाल अहमद/ब्यूरो चीफ नूह मेवात।
रमजान का महीना हमारे लिए रमजान अल्लाह ताला की तरफ से एक बहुत ही बड़ा इनाम है। हमारे लिए दरअसल रोजा का मकसद परहेजगारी पैदा करना है। पूरी जिंदगी को खुदाबंदी के मुताबिक ढालना है। यही रोजे का अहम मकसद है। सभी रोजदारों को इस महीने में अधिक से अधिक खुदा की इबादत करनी चाहिए। रोजे का इस्लाम धर्म में एक अलग स्थान है।
रमजान माह में रोजा रख गरीब और जरूरतमंदों की अधिक से अधिक सहायता करने से रोजेदार को भी खुशी मिलती है और जिसकी वह रोजे में मदद करता है, उसकी दुआ भी उसके लिए मिलती है। ऐसे में सभी रोजेदारों को अपनी जिंदगी को रमजान के माह के जैसा ही बिताना चाहिए। इसके अलावा हमें अन्य लोगों को भी रोजा में अच्छे कार्य के लिए प्रेरित करना चाहिए। अल्लाह उसी का रोजा कबूल करता है, जिसके अंदर इंसानियत होती है। जो दूसरे के दुख दर्द में हमेशा साथ रहता है। रमजान में किसी गरीब की सहायता करना अहम माना गया है। इसलिए इस महीने में गरीबों को दान करने का रिवाज भी है। रमजान का असली मतलब यही है कि वह गरीबों लोगों के दुख दर्द को समझने वाला बन जाए। रोजा इंसान को एक अच्छा इंसान बनाता है। इंसानियत का पता जब चलता है जब पेट भूखा हो। रमजान में रोजेदार से खुदा कोई हिसाब-किताब नहीं लेता। रोजेदार जमकर गरीबों ऊपर पैसा खर्च कर सकता है।
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