मेवात क्षेत्र को बूचड़खाने नहीं, विकास चाहिए:-मेवात विकास सभा
आवे है दुनिया देखण कू,
मेरी हरी–भरी है मेवात ||
बिलाल अहमद/ब्यूरो चीफ नूह मेवात।
एक तरफ मेवात की विशेषताएं बताता यह खूबसूरत गाना और दूसरी तरफ मेवात में थोक में बूचड़खाने खोलना की इजाजत वे एन. ओ. सी. आजकल खूब वायरल हो रहे हैं मेवात का संजीदा तबका आने वाले तूफान का एहसास करके चिंतित है कि आखिर षड्यंत्र के तहत मेवात पर यह आफत थोपी जा रही है और नादान मेवाती किसान खुश हैं कि उनकी जमीन अच्छे दामों में बिक रही है
मेवात जो पहले से ही गौ तस्करी व गौ हत्या के लिए बदनाम हो चुका है उसमें भारी संख्या में लगभग तीन दर्जन बूचड़खाने खोलने की एन. ओ. सी. देना मेवात को एक ऐसे गर्त में धकेलने जैसा है जहां मेवात न केवल सामाजिक तौर पर बदनाम होगा बल्कि स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से भी घिर जाएगा
इसी को लेकर मेवात विकास सभा संगठन का प्रतिनिधिमंडल नूह उपायुक्त धीरेंद्र खड़गटा से मिला और ज्ञापन देकर कहा कि हमे बूचड़खाने नही शिक्षा और सुरक्षा चाहिए संगठन ने खुले तौर पर बूचड़खानों को बंद करने और जो बूचड़खाने प्रोसेस में हैं उनको लाइसेंस ना देने की बात कही है
कुछ दिन पहले भी छपी खबरों में फिरोजपुर झिरका उपमंडल के गांव मांडीखेड़ा के जंगल में लगी मीट फैक्ट्री को लेकर ग्रामीण खासे परेशान नज़र आए और फैक्ट्री से निकल रहा बदबूदार तथा केमिकल युक्त पानी बहने से लोगों का जीना दूभर हो गया है परेशान ग्रामीणों ने समाधान की मांग की है
ग्रामिणों ने आरोप लगाया की फैक्ट्री के अंदर से पशुओं के कटान होने के बाद उसका मल मूत्र व गंदा खून तथा पशुओं का अवशेष और केमिकल युक्त बहाव से फसलों को काफी नुकसान पहुंचा रहा है
मेवात में जहां गोपालन की सदियों पुरानी परंपरा रही है अरावली पहाड़ जो दिल्ली की दक्षिण सीमा से गुजरात की उत्तरी सीमा तक फैला हुआ है वह मेवात को तीन भागों में बांटता है अरावली पहाड़ जिसे मेवाती काला पहाड़ कहते हैं इसके दोनों और पूर्व एवं पश्चिम बेस मेवाती किसान हजारों की संख्या में गोपालन करते हैं उनकी गए सुबह पहाड़ में हरी घास और दूसरी झाड़ियां चढ़ने पहाड़ में चली जाती हैं और शाम को घर लौट आई है अरावली पहाड़ के ऊपर कई सदानीरा जोहड़ हैं
मेवात में एक और परम्परा सदियों से चली आ रही है कि मेव मुसलमान किसान अपनी नवविवाहित बेटी को दान में गाय देता है जिसे किसान होने के नाते वह अपनी आजीविका का आधार मानता है मेवात में एक और विशेष बात यह रही है कि जिस गाए का दूध उसने और उसके परिवार ने पिया है, उस गाय के मेवाती किसान कभी कसाई को नहीं बेचता इसे आप गऊ धन में मेवाती किसान का प्रेम कहेंगे या कुछ और यह फ़ैसला आप स्वयं करें
इस मौके पर मेवात विकास सभा अध्यक्ष अख्तर हुसैन चदेनी, इतिहासकार सद्दीक अहमद मेव, वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता रमजान चौधरी, दीन मोहम्मद मामलिका, वाइस प्रेसिडेंट शब्बीर खेड़ली रेवासन, जुबेर अलालपुर, और अन्य साथी गण मौके पर मौजूद रहे
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